Saptashati Tantrasar (सप्तशती तन्त्रसार)
₹288.00
Author | Rajiv Shrivastav |
Publisher | Shri Madhu Sudan Prakashan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2016 |
ISBN | - |
Pages | 270 |
Cover | Hard Cover |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSSO0696 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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सप्तशती तन्त्रसार (Saptashati Tantrasar) प्रस्तुत ग्रन्थ (सप्तशती-तन्त्रसार) के सङ्कलन-कर्ता एवं मार्गदर्शक राजीव श्रीवास्तव (दिव्यानन्द नाथ कौलाचार्य) जी भगवती माँ तारा के अनन्य भक्त तथा एक ऐसे विनम्न सिद्ध-साधक हैं जिन्होंने अपने जीवन में अनेकों बार भगवती की कृपा का साक्षात्कार किया है। अनेकों महात्माओं के सत्सङ्ग तथा उनकी कृपा से प्राप्त श्री दुर्गासप्तशती के स्वानुभूत प्रयोगात्मक ज्ञान राशि को सामान्य जन के लिए, इस ग्रन्थ के माध्यम से उद्घाटित कर उन्होंने सर्वजन-कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। इस ग्रन्थ में ऐसे अनेकों दुर्लभ प्रयोगों का समावेश है जो अन्यत्र अप्राप्त हैं। कीलक (ग्रन्थ के उत्कीलन के लिए) मन्त्र का उद्धार तथा रूपं देहीति से सम्पुटित सप्तशती पाठ की गोपनीय एवं शुद्ध मन्त्रमयी व्याख्या इस ग्रन्थ की अपनी एक विशिष्टता है।
सप्तशती के पाठ को अधिकतम शुद्ध रूप से प्रस्तुत करने हेतु गुप्तवती और शान्तनवी टीकाओं का आधार लिया गया है तथा पंचम अध्याय की स्तुति की शुद्ध पाठ विधि तन्त्रशास्त्र के प्रख्यात विद्वान एवं साधक श्रेष्ठ आचार्य भास्कर राय दीक्षित की ‘गुप्तवती’ टीका पर आधारित है। इस ग्रन्थ की प्रयोगात्मक नौका पर आरूढ होकर, कर्म-भक्ति और ज्ञान की त्रिविध मन्दाकिनी रूप सप्तशती में विहार करते हुए, सभी मनुष्य सुखमय जीवन व्यतीत करने के साथ ही करुणामयी भगवती की कृपा से परम दुर्लभ मुक्ति को प्राप्त हों, यही जगदम्बा से विनय है।
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