Panchatantram (पञ्चतन्त्रम् अन्वय, हिंदी अनुवाद, स्पष्टीकरण सहित)
₹297.00
Author | Dr. Pushpa Gupta |
Publisher | Chaukhambha Sanskrit Pratisthan |
Language | Sanskrit & Hindi |
Edition | 2019 |
ISBN | - |
Pages | 968 |
Cover | Paper Back |
Size | 14 x 4 x 22 (l x w x h) |
Weight | |
Item Code | CSSO0695 |
Other | Dispatched in 1-3 days |
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पञ्चतन्त्रम् (Panchatantram) पञ्चतन्त्र नीति कथा साहित्य का मूर्धन्य ग्रन्थ है। यह महिलारोप्य नगर के राजा अमरकीर्ति के तीन महामूर्ख एवं शास्त्रविमुख पुत्रों को व्यवहारकुशल एवं नीतिपटु बनाने के लिए पण्डित विष्णुशर्मा द्वारा लिखा गया। इसमें पशु-पक्षियों की रोचक कहानियों के माध्यम से सदाचार एवं राजनीति के गूढ़-से-गूढ़ तत्त्व भी बड़ी सरलता और सहजता से समझा दिये गये हैं। ‘तन्त्र’ का अभिप्राय ही “नीतियुक्त शासनविधि” है। इस प्रकार पञ्चतन्त्र वह ग्रन्थ है, जिसमें नीतियुक्त शासनविधि के पांच तन्त्र (गुर) बतलाये गये हैं।
पञ्चतन्त्र अल्पमति बालकों के लिए ही लिखा गया था, अतः इसकी भाषा का सरल, सहज, सुबोध होना स्वाभाविक ही है। निस्सन्देह पंचतन्त्र के कुछ हिन्दी अनुवाद उपलब्ध हैं, परन्तु उनमें केवल शाब्दिक अनुवाद मात्र ही दिया गया है। इस कारण पञ्चतन्त्र के कुछ ऐसे गूढ़, गहन, गम्भीर प्रसंग अव्याख्यात ही रह गये, जिनके लिए स्पष्टीकरण अपेक्षित था। प्रस्तुत ग्रन्थ में ऐसे जटिल और दुर्बोध प्रसंगों को यथाशक्ति स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है।
प्रस्तुत ग्रन्थ में प्रथम बार पञ्चतन्त्र के 1085 श्लोकों की क्रमबद्ध सूची दी गयी है। पञ्चतन्त्र में प्रतिपादित मुख्य-मुख्य विषयों की विवेचना भी की गयी है। प्रत्येक कथा के पश्चात् उससे प्राप्त होने वाली शिक्षा की वर्तमान युग में प्रासंगिकता का प्रकाशन कर पञ्चतन्त्र का सार्वकालिक और सार्वभौमिक महत्त्व प्रतिपादित किया गया है। पञ्चतन्त्र का यह संस्करण ज्ञानपिपासुओं के लिए अत्यन्त उपयोगी होगा, ऐसा विश्वास है।
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