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Shri Ram Ank (श्रीरामाङ्क)

400.00

Author -
Publisher Gita Press, Gorakhapur
Language Hindi & Sanskrit
Edition 1st edition
ISBN -
Pages 976
Cover Hard Cover
Size 14 x 4 x 22 (l x w x h)
Weight
Item Code GP0175
Other Code - 2331

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Description

श्रीरामाङ्क (Shri Ram Ank) भगवान् राम भारतीय लोक मर्यादाके आदर्श हैं। उनके जीवनमें हमारी सामाजिक मर्यादाएँ एवं आदर्श व्यक्त हुए हैं। श्रीराम ऋषि-प्रणीत शास्त्र मर्यादाके रक्षक और पालक हैं। वे लोकजीवनमें समाहित होकर भी उसके ऊपर हैं। वे एक साथ आदर्श और मर्यादापालक हैं। श्रीरामका समस्त जीवन त्यागप्रधान है एवं उदात्त कर्तव्य भावनासे ओतप्रोत है। उनका जीवन कहीं भी अपने लिये नहीं है; वह एक आदर्शके लिये समर्पित और उस आदर्शको आचरणमें व्यक्त करनेके लिये निरंतर प्रयत्नशील जीवन है।

भगवान् श्रीरामका चरित्र लोक-परलोकमें नित्य परम कल्याणकारी है। साक्षात् सच्चिदानन्दघन परमात्माके धराधाममें मानवादि रूपोंमें अवतीर्ण होकर विविध लीलाएँ करते हैं इसका एक प्रधान कारण यह भी है कि मनुष्य उन लीलाओंको गाकर, उन्हें पढ़-सुनकर, उनका अनुकरण कर अविद्याकी अनादि ग्रन्थियोंसे मुक्त हो जाय। कलियुगी जीवोंके लिये तो दुःखोंसे छूटनेका प्रधान साधन भगवान्‌के गुणोंका गान करना ही है।

भगवान् श्रीराम उपमारहित हैं, उनकी कोई उपमा है ही नहीं। श्रीरामके समान राम ही हैं। भगवान् श्रीराम जो परात्पर समग्र ‘ब्रह्म हैं’, निर्गुण ब्रह्म हैं, विष्णुके अवतार, मर्यादासंस्थापक हैं, आदर्श राजा हैं। जिनसे सब उत्पन्न हैं, जिनमें सब कुछ समाया हुआ है तथा जिनका स्वरूप वाणीसे अगोचर, बुद्धिसे परे, वेद जिनका नेति-नेति गुणगान करते हैं, उन्हीं भगवान् श्रीराम और उनकी अभिन्याशक्ति भगवती सीताके नाम, रूप, लीला, धाम, आदर्श गुण, प्रभाव एवं महत्त्व आदिका विस्तारसे विवेचन करनेका प्रयास इस अङ्कमें किया गया है। प्रभु श्रीराम परम कृपालु और भावग्राहक हैं- वे अपने भक्तोंके भावमात्रको ग्रहणकर उनके यशोगानको प्रेमसहित सुनते हैं और उसमें सुख मानते हैं।

इस अंकमें भगवान् श्रीरामके विभिन्न आदर्शों, उनके प्रभाव, महत्त्व आदिपर प्रकाश डालनेका प्रयास किया गया है। इसमें भगवान् श्रीरामके परिकरोंका संक्षिप्त परिचय एवं प्रसिद्ध रामभक्तोंके सुन्दर आख्यान भी दिये गये हैं; साथ ही सूर्यवंशकी वंशावली (विवस्वान्से सुमित्रतक), श्रीरामसम्बन्धी अनुष्ठान, रामकवच, सीताकवच, भरतकवच, लक्ष्मणकवच, शत्रुघ्नकवच, हनुमत्कवच आदि बहुतसे स्तोत्र भी दिये गये हैं। अधिक-से-अधिक सामग्री उपलब्ध हो सके, इसके लिये फरवरी एवं मार्चके अंकोंमें प्रकाशित सामग्री भी इस अंकमें दे दी गयी है। आशा है, यह अंक सभीके लिये उपयोगी और संग्रहणीय होगा।

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